To the people, for a dream nation
A poem written by me during my high school days. It has made me to believe in it in much stronger ways ever since...
फिर कोई इंसां न इंसानियत को तरसे
कि चैन-ओ-अमन का सावन जी भरके बरसे।
फिर किसी नाज़ुक के अश्क फिज़ा में न बिखरें,
कि शबनम-ए-गुलशन की रंगत कुछ इस तरह निखरे।
वो ऐसा हल तफ्ह्तीश कर मेरे दोस्त,
कि आज हर हिन्दुस्तानी वो रास्ता अख्तियार करे,
जो फिर इस ज़मीं को जन्नत की शक्ल में साकार करे।
ग़र जो समंदर हैं तो तूफां आयेंगे
सिकंदर वो जो तूफां से प्यार करे।
ऐ शीरीं हम मिलकर मुल्क़ का वो नक़्श तैयार करें,
कि हर मशरिकी नज़र मेरे क़ौम का दीदार करे|
Closest translation in English
फिर कोई इंसां न इंसानियत को तरसे
कि चैन-ओ-अमन का सावन जी भरके बरसे।
फिर किसी नाज़ुक के अश्क फिज़ा में न बिखरें,
कि शबनम-ए-गुलशन की रंगत कुछ इस तरह निखरे।
वो ऐसा हल तफ्ह्तीश कर मेरे दोस्त,
कि आज हर हिन्दुस्तानी वो रास्ता अख्तियार करे,
जो फिर इस ज़मीं को जन्नत की शक्ल में साकार करे।
ग़र जो समंदर हैं तो तूफां आयेंगे
सिकंदर वो जो तूफां से प्यार करे।
ऐ शीरीं हम मिलकर मुल्क़ का वो नक़्श तैयार करें,
कि हर मशरिकी नज़र मेरे क़ौम का दीदार करे|
Closest translation in English
May no human beings be deprived of humanity,
May there be bountiful rains of peace all around
May there be no tears of the delicate children in our
environ
I wish so is the beauty of the dews in my nation's garden
Lets' find a way my friend for every landsman to choose a
path today
that manifests the heaven in this land tomorrow
If there are oceans, there will be storms.
Champion
though is the one who loves the storms.
Friends, lets craft a future of our country in unity and
dignity
So the stranger’s eyes treasure the mesmerizing beauty of
our nation forever.
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